बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए निवेश करना हर माता-पिता की सर्वोच्च प्राथमिकता होती है, और इस दौड़ में अकसर लोग कंफ्यूज रहते हैं कि Gold Vs SIP में से क्या बेहतर है। सोना (Gold) और एसआईपी (SIP) आधारित म्यूचुअल फंड्स दो सबसे लोकप्रिय विकल्प हैं। दोनों ही निवेश के तरीके अपनी खूबियाँ रखते हैं, लेकिन आपके वित्तीय लक्ष्यों और जोखिम सहनशीलता के आधार पर इनमें से किसी एक का चुनाव करना बेहतर साबित हो सकता है।
Gold Vs SIP: तुलनात्मक विश्लेषण
| पैरामीटर | सोना (Gold) | SIP (म्यूचुअल फंड्स) |
| मुख्य लाभ | महंगाई से सुरक्षा, स्थिरता, लिक्विडिटी | धन वृद्धि, कंपाउंडिंग का लाभ, बेहतर रिटर्न |
| रिटर्न की संभावना | मध्यम (मुद्रास्फीति-बीटिंग) | उच्च (औसतन 12-15% तक) |
| जोखिम | कम से मध्यम | मध्यम से उच्च (बाज़ार जोखिम) |
| सर्वोत्तम उपयोग | सुरक्षा और इमरजेंसी लिक्विडिटी के लिए | लंबी अवधि के बड़े लक्ष्यों (शिक्षा, विवाह) के लिए |
SIP: लंबी अवधि में कंपाउंडिंग का कमाल
एक्सपर्ट्स के अनुसार, जब बात Gold Vs SIP की तुलना की आती है और लक्ष्य 10-15 साल या उससे अधिक का है, जैसे कि बच्चों की उच्च शिक्षा या शादी, तो SIP एक अधिक शक्तिशाली उपकरण साबित हो सकता है। SIP के माध्यम से म्यूचुअल फंड्स में नियमित निवेश करने से कंपाउंडिंग (चक्रवृद्धि ब्याज) का जबरदस्त फायदा मिलता है, जो लंबी अवधि में निवेश को कई गुना बढ़ा सकता है। SIP में औसतन 12% से 15% तक का रिटर्न मिल सकता है, जो सोने की तुलना में अधिक है। हालांकि, इसमें बाजार जोखिम शामिल होता है, इसलिए इसे केवल लंबी अवधि के लिए ही चुनना चाहिए।
सोना: स्थिरता और महंगाई से सुरक्षा
सोना निवेश को एक आवश्यक स्थिरता प्रदान करता है। जहाँ SIP ग्रोथ देता है, वहीं सोना महंगाई के दौर में भी अपनी क्रय शक्ति (Purchasing Power) को बनाए रखता है, जिससे यह पोर्टफोलियो में सुरक्षा कवच का काम करता है। सोना आसानी से ख़रीदा और बेचा जा सकता है (उच्च लिक्विडिटी)। Gold Vs SIP की बहस में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) भौतिक सोना खरीदने से बेहतर विकल्प है, क्योंकि यह सोने की कीमतों में वृद्धि के साथ-साथ सालाना 2.5% का निश्चित ब्याज भी देता है।
Gold Vs SIP: रिटर्न का गणित (Calculation)
आइए एक उदाहरण से समझते हैं कि यदि आप 15 साल तक हर महीने ₹5,000 का निवेश करते हैं, तो क्या परिणाम हो सकते हैं:
| विवरण | Gold (सोना) | SIP (म्यूचुअल फंड) |
| मासिक निवेश | ₹5,000 | ₹5,000 |
| अवधि | 15 वर्ष | 15 वर्ष |
| कुल निवेश | ₹9 लाख | ₹9 लाख |
| अनुमानित रिटर्न दर | 8% (औसत) | 12% (औसत) |
| कुल फंड वैल्यू | ₹17.3 लाख (लगभग) | ₹25.2 लाख (लगभग) |
| शुद्ध लाभ | ₹8.3 लाख | ₹16.2 लाख |
(नोट: यह आंकड़े पिछले बाज़ार प्रदर्शन पर आधारित हैं, वास्तविक रिटर्न बाज़ार के जोखिमों पर निर्भर करता है।)
इस गणना से स्पष्ट है कि लंबी अवधि में Gold Vs SIP की रेस में SIP कंपाउंडिंग की वजह से लगभग दोगुना लाभ दे सकता है।
Gold Vs SIP: टैक्स (Tax) नियम क्या कहते हैं?
निवेश करते समय टैक्स को समझना भी जरूरी है:
-
Gold Tax: यदि आप फिजिकल गोल्ड को 3 साल के बाद बेचते हैं, तो उस पर 20% का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) टैक्स लगता है (इंडेक्सेशन के साथ)। वहीं, SGB (सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड) में परिपक्वता (Maturity) पर टैक्स पूरी तरह माफ़ होता है।
-
SIP Tax: इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में यदि एक वित्तीय वर्ष में 1.25 लाख रुपये से अधिक का लाभ होता है, तो उस पर 12.5% का LTCG टैक्स लगता है।
निष्कर्ष: Gold Vs SIP में संतुलन है कुंजीवित्तीय विशेषज्ञों का सुझाव है कि बच्चों के भविष्य के लिए सिर्फ़ एक विकल्प पर निर्भर न रहें। एक संतुलित पोर्टफोलियो बनाने के लिए आप दोनों विकल्पों का संयोजन चुन सकते हैं। माता-पिता को अपने बच्चे के भविष्य के लिए Gold Vs SIP का चुनाव करते समय अपनी जोखिम क्षमता और अवधि को ध्यान में रखना चाहिए।
यह भी पढ़ें :-SBI JANNIVESH SIP: 250 रुपए महीने से बच्चों के लिए बनाए 17 लाख रुपए का फंड























