नई दिल्ली: भू-राजनीति (Geopolitics) की दुनिया में अक्सर संकेतों की भाषा शब्दों से ज्यादा असरदार होती है। 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन (India-Russia Summit) में हिस्सा लेने नई दिल्ली पहुंचे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ कुछ ऐसा ही हुआ। पालम एयरपोर्ट के रनवे पर जब रूस का विशालकाय विमान इल्यूशिन-96 (IL-96) रुका, तो किसी को अंदाजा नहीं था कि अगले कुछ मिनटों में दुनिया भर की मीडिया के लिए एक बड़ी खबर बनने वाली है।
Putin India Visit के इस ऐतिहासिक मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कूटनीतिक प्रोटोकॉल की दीवारों को गिराते हुए अपने ‘दोस्त’ का ऐसा स्वागत किया, जिसने क्रेमलिन (Kremlin) को भी चौंका दिया।
वह पल जब प्रोटोकॉल पीछे छूट गया
काले रंग के सूट-बूट में जैसे ही राष्ट्रपति पुतिन विमान की सीढ़ियों से नीचे उतरे, वहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले से मौजूद थे। आम तौर पर किसी राष्ट्राध्यक्ष को रिसीव करने के लिए राज्य मंत्री या वरिष्ठ अधिकारी जाते हैं, लेकिन पीएम मोदी ने प्रोटोकॉल तोड़कर खुद एयरपोर्ट जाने का फैसला किया।
विमान से उतरते ही पीएम मोदी ने बेहद गर्मजोशी के साथ पुतिन से हाथ मिलाया और फिर उन्हें गले लगा लिया। दोनों नेताओं की यह केमिस्ट्री सिर्फ कूटनीतिक संबंधों का प्रदर्शन नहीं, बल्कि दो महाशक्तियों के बीच अटूट भरोसे का प्रतीक थी।
क्रेमलिन का बयान:
‘हमें अंदाजा नहीं था‘ इस अप्रत्याशित स्वागत पर रूस की प्रतिक्रिया ने इस घटना को और भी खास बना दिया। रूसी राष्ट्रपति भवन ‘क्रेमलिन’ ने एक विशेष बयान जारी करते हुए कहा,
“हमें बिल्कुल नहीं पता था कि प्रधानमंत्री मोदी खुद अगवानी करेंगे। यह हमारे लिए एक सुखद आश्चर्य था।“
हैरानी का सिलसिला यहीं नहीं रुका। एयरपोर्ट से निकलने के बाद, दोनों नेता अलग-अलग काफिले में नहीं, बल्कि एक ही गाड़ी में सवार होकर प्रधानमंत्री आवास के लिए रवाना हुए। दोनों नेताओं को एक ही टोयोटा एसयूवी (Toyota SUV) में गहन मंत्रणा करते हुए देखा गया, जो यह बताने के लिए काफी है कि इस Putin India Visit के दौरान औपचारिकताओं से ज्यादा आपसी संवाद को महत्व दिया जा रहा है।
एजेंडा: S-400 और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का कनेक्शन

Putin India Visit
इस दौरे का सबसे अहम पहलू रक्षा सौदे हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद यह पुतिन का पहला भारत दौरा है (पिछला दौरा 6 दिसंबर 2021 को था)। हालांकि, पीएम मोदी ने 2024 में मॉस्को में उनसे मुलाकात की थी, लेकिन दिल्ली में हो रही यह बैठक रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
सूत्रों के मुताबिक, भारत रूस से S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की अतिरिक्त यूनिट्स खरीदने पर विचार कर रहा है। इसके पीछे हाल ही में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता बड़ी वजह मानी जा रही है।
क्या है ऑपरेशन सिंदूर का असर? सैन्य विशेषज्ञों के अनुसार, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान S-400 सिस्टम के शानदार प्रदर्शन ने भारतीय रक्षा प्रतिष्ठान का भरोसा इस हथियार पर और बढ़ा दिया है।
नई डील की संभावना: अनुमान है कि भारत 5 और नई S-400 यूनिट्स खरीदने का सौदा कर सकता है।
पुरानी डील का स्टेटस: भारत ने पहले 5 सिस्टम की डील की थी, जिसमें से 3 मिल चुके हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण चौथे स्क्वाड्रन की डिलीवरी अटकी हुई थी, जिस पर इस Putin India Visit में मुहर लग सकती है।
व्यापार और भरोसा: तेल से लेकर FTA तक
सिर्फ रक्षा ही नहीं, इस 23वें समिट में व्यापारिक समीकरणों को भी नया रूप दिया जाएगा। पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बावजूद, भारत और रूस के बीच तेल (Crude Oil) का व्यापार रिकॉर्ड स्तर पर है।
पुतिन और मोदी के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पर भी गंभीर चर्चा होने की संभावना है। दोनों नेता इस बात पर भी जोर देंगे कि कैसे पेमेंट सिस्टम को सुचारू बनाया जाए ताकि डॉलर पर निर्भरता कम हो सके। पुतिन के विमान पर सिरिलिक लिपि में लिखा ‘россия’ (रूस) सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि पश्चिमी आधिपत्य को चुनौती देने वाले एक महाशक्ति का प्रतीक बनकर दिल्ली की जमीन पर उतरा है।
निष्कर्ष: दोस्ती का नया अध्याय
यूक्रेन युद्ध के साये के बीच पुतिन का भारत आना और पीएम मोदी का प्रोटोकॉल तोड़कर उनका स्वागत करना, पश्चिमी देशों के लिए एक कड़ा संदेश है। यह बताता है कि भारत अपनी विदेश नीति में स्वतंत्र है और अपने पुराने दोस्तों के साथ खड़ा रहना जानता है। Putin India Visit सिर्फ एक वार्षिक बैठक नहीं, बल्कि बदलते विश्व में शक्ति संतुलन का नया खाका है।
यह भी पढ़ें: US F-16 Crash: 1700 करोड़ का जेट पल भर में राख, मौत को छूकर लौटा पायलट, देखें Video
























