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Breaking: बंगाल में Babri Masjid Foundation आज; 3 लाख की भीड़, सिर पर ईंटें और मुर्शिदाबाद ‘High Alert’ पर

Babri Masjid Foundation

Babri Masjid Foundation : विशेष संवाददाता | मुर्शिदाबाद/कोलकाता:

पश्चिम बंगाल के नक्शे पर मुर्शिदाबाद जिला अक्सर अपनी ऐतिहासिक नजाकत के लिए जाना जाता रहा है, लेकिन आज शनिवार की सुबह यह जिला इतिहास के एक बेहद संवेदनशील पन्ने को दोबारा पलटने की गवाह बन रहा है। बेलडांगा का भावता इलाका आज एक सामान्य कस्बा नहीं, बल्कि एक अभेद्य किले में तब्दील हो चुका है। वजह है—निलंबित टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर की वह जिद, जिसने राज्य सरकार से लेकर खुफिया एजेंसियों तक की नींद उड़ा रखी है। आज यहाँ Babri Masjid Foundation (बाबरी मस्जिद शिलान्यास) का कार्यक्रम हो रहा है, और जमीनी हालात बता रहे हैं कि यह महज एक शिलान्यास नहीं, बल्कि बंगाल की सियासत में एक बड़े तूफ़ान की आहट है।

अगर आप वहां के मंजर को देखें, तो रोंगटे खड़े करने वाली तस्वीरें सामने आ रही हैं। सुबह की पहली किरण के साथ ही हजारों लोगों का हुजूम सड़कों पर उतर आया है। इन लोगों के सिर पर निर्माण के लिए ईंटें हैं और आंखों में एक अजीब सा जुनून। यह भीड़ उस जगह की ओर बढ़ रही है जहाँ आज Babri Masjid Foundation रखी जानी है।

3000 जवानों की घेराबंदी: परिंदा भी पर नहीं मार सकता

कलकत्ता हाईकोर्ट ने शुक्रवार को प्रशासन को जो निर्देश दिए थे, उसका असर जमीन पर साफ़ दिख रहा है। ममता बनर्जी सरकार कोई जोखिम नहीं लेना चाहती। बेलडांगा और रानीनगर थाने के हर चौराहे, हर गली और हर मोड़ पर खाकी वर्दी का पहरा है।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि स्थिति “तनावपूर्ण लेकिन नियंत्रण में” है। सुरक्षा का खाका (Blueprint) ऐसा है मानो युद्ध की तैयारी हो:

  1. पैरामिलिट्री का चक्रव्यूह: सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स (CAPF) की 19 कंपनियों ने आयोजन स्थल को तीन लेयर की सुरक्षा में घेर रखा है।

  2. दंगा रोधी दस्ते: रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) के जवान आधुनिक उपकरणों और आंसू गैस के गोले के साथ हर 500 मीटर पर तैनात हैं।

  3. बॉर्डर सील: मुर्शिदाबाद की सीमा बांग्लादेश से लगती है, इसलिए बीएसएफ (BSF) को हाई अलर्ट पर रखा गया है ताकि सीमा पार से कोई गड़बड़ी न हो सके। कुल मिलाकर 3,000 से ज्यादा जवान इस वक्त एक ही मिशन पर हैं—Babri Masjid Foundation कार्यक्रम के दौरान शांति व्यवस्था को किसी भी कीमत पर बिगड़ने न देना।

बिरयानी, भीड़ और सऊदी अरब का ‘रहस्यमयी’ कनेक्शन

राजनीति के जानकार इस आयोजन को हुमायूं कबीर का ‘मास्टरस्ट्रोक’ मान रहे हैं। भीड़ जुटाने के लिए धर्म और दावत का ऐसा मिश्रण तैयार किया गया है जिसे नजरअंदाज करना नामुमकिन है।

सबसे ज्यादा चर्चा ‘सऊदी कनेक्शन’ की है। हुमायूं कबीर ने दावा किया है कि Babri Masjid Foundation रखने के लिए सऊदी अरब से विशेष धार्मिक गुरु (मौलाना) बेलडांगा पहुँच रहे हैं। एक छोटे से कस्बे में अंतरराष्ट्रीय मेहमानों की मौजूदगी ने इस मामले को और भी संवेदनशील बना दिया है।

वहीं, भीड़ को रोके रखने के लिए लॉजिस्टिक्स का इंतजाम किसी कॉर्पोरेट इवेंट से कम नहीं है:

  • 25 बीघा जमीन: जहाँ पैर रखने की जगह नहीं बची है।

  • शाही स्टेज: 150 फीट लंबा मंच, जहाँ से कबीर अपनी नई सियासत का ऐलान करेंगे।

  • 60,000 बिरयानी पैकेट: दूर-दराज के गांवों से आने वाले समर्थकों के लिए बिरयानी के पैकेट तैयार कराए गए हैं। इसके अलावा बड़े-बड़े देगों में सामुदायिक लंगर पक रहा है।

6 दिसंबर की तारीख और कबीर की बगावत

Babri Masjid Foundation हुमायूं कबीर ने इस कार्यक्रम के लिए 6 दिसंबर के आसपास की तारीख का चुनाव यूं ही नहीं किया। 1992 में अयोध्या में बाबरी विध्वंस की बरसी को भुनाकर वे मुस्लिम वोट बैंक में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहते हैं।

तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने भांप लिया था कि यह मुद्दा आग से खेलने जैसा है। यही कारण है कि 4 दिसंबर को ही कबीर को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया गया। लेकिन कबीर के लिए यह ‘करो या मरो’ की स्थिति है। उन्होंने ऐलान कर दिया है कि वे 22 दिसंबर को अपनी नई पार्टी बनाएंगे और आगामी विधानसभा चुनाव में 135 सीटों पर अकेले दम पर चुनाव लड़ेंगे। आज का Babri Masjid Foundation आयोजन असल में उनकी उस राजनीतिक महत्वाकांक्षा का ‘लॉन्च पैड’ है।

क्या बंगाल फिर सुलगने की कगार पर है?

पोस्टर वॉर से शुरू हुआ यह मामला अब सड़कों पर आ चुका है। भाजपा इसे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिश बता रही है, तो टीएमसी ने पल्ला झाड़ लिया है। लेकिन सवाल यह है कि 3 लाख लोगों की इस भीड़ को, जिनके जज्बात 6 दिसंबर के इतिहास से जुड़े हैं, हुमायूं कबीर कैसे नियंत्रित करेंगे? और अगर एक भी चिंगारी भड़की, तो क्या 3000 जवान उसे संभाल पाएंगे?

शाम 4 बजे तक का वक्त बंगाल के लिए बेहद भारी है। मुर्शिदाबाद की हवा में घुली यह खामोशी किसी आने वाले तूफ़ान का संकेत तो नहीं? हमारी टीम ग्राउंड जीरो पर मौजूद है और हर पल की खबर आप तक पहुँचा रही है।


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Aakash Sharma (Editor) The Times of MP

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