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मोरवन टेक्सटाइल विवाद: हाईकोर्ट ने ‘गोचर भूमि’ पर 4 सप्ताह के लिए लगाई रोक; आंदोलनकारियों को मिली बड़ी राहत


नीमच / इंदौर: नीमच के मोरवन में प्रस्तावित सुविधी रेयॉन्स टेक्सटाइल फैक्ट्री को लेकर चल रहे भूमि विवाद में आज मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (इंदौर बेंच) ने एक अहम और बड़ा अंतरिम फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने फैक्ट्री को आवंटित गोचर (चरनोई) भूमि के मामले में दायर जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करते हुए, संबंधित विभागों को नोटिस जारी किए हैं और निर्माण कार्य पर चार सप्ताह के लिए ‘यथास्थिति’ (Status Quo) बनाए रखने का आदेश दिया है।

यह अंतरिम आदेश याचिकाकर्ताओं और स्थानीय ग्रामीणों के लंबे समय से चल रहे आंदोलन के लिए एक बड़ी सफलता मानी जा रही है।

गोचर भूमि का मुद्दा और कोर्ट का स्टे

हाईकोर्ट ने PIL के बाद 4 सप्ताह का स्टे दिया।

याचिकाकर्ता ने कोर्ट में यह तर्क दिया था कि फैक्ट्री को आवंटित की गई ज़मीन मूल रूप से गोचर (गौ-सेवा) के लिए आरक्षित थी, और इसका औद्योगिक उपयोग के लिए आवंटन मध्य प्रदेश भू-राजस्व संहिता का उल्लंघन है।

माननीय न्यायालय ने इस गंभीर मुद्दे पर संज्ञान लेते हुए, प्रतिवादियों (संबंधित विभाग) को चार सप्ताह के भीतर नोटिस का जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि इन चार सप्ताह की अवधि के दौरान, दोनों पक्षकार मौके पर ‘यथास्थिति’ (Status Quo) बनाए रखेंगे। इसका सीधा अर्थ है कि फिलहाल फैक्ट्री परिसर में किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य नहीं किया जा सकेगा।

डैम प्रदूषण और किसानों का आंदोलन

हाईकोर्ट के इस फैसले ने स्थानीय ग्रामीणों और किसान नेताओं के आंदोलन को बल दिया है, जो लंबे समय से इस फैक्ट्री के विरोध में थे।

  • स्थानीय विरोध: ग्रामीणों का कहना था कि गोचर भूमि के अधिग्रहण के अलावा, फैक्ट्री के संचालन से पास के डैम का पानी प्रदूषित होगा, जिससे क्षेत्र की कृषि और पर्यावरण पर गंभीर नकारात्मक असर पड़ेगा।

  • किसान नेताओं की सक्रियता: इस आंदोलन में किसान नेता पूरण अहिर और राजकुमार अहीर सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं। आंदोलन के दौरान कुछ लोगों के खिलाफ मामले भी दर्ज किए गए थे। किसान नेता पूरण अहिर ने पहले ही घोषणा की थी कि उनका शांतिपूर्ण आंदोलन जारी रहेगा और उन्होंने जनहित याचिका (PIL) दायर करने की भी बात कही थी, जिसका असर आज कोर्ट के फैसले के रूप में दिखाई दिया है।

चार सप्ताह बाद मामले की अगली सुनवाई होगी, जिसके बाद ही माननीय न्यायालय द्वारा अंतिम फैसला सुनाया जाएगा।

 

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Aakash Sharma (Editor) The Times of MP

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