नीमच : नीमच जिले के गिरदौड़ा गांव में मुख्यमंत्री की महत्वकांक्षी ड्रोन सर्वे योजना के तहत हुए भूमि रिकॉर्ड संधारण में भारी अनियमितता और भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। मंगलवार को कलेक्ट्रेट पहुंचे लगभग 25 पीड़ित परिवारों ने राजस्व विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए न्याय की गुहार लगाई है।
क्या है पूरा मामला? ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि ड्रोन सर्वे के बाद जब रिकॉर्ड अपडेट किए गए, तो उनकी पुश्तैनी जमीनें, जिन पर वे सालों से काबिज हैं और पक्के मकान बनाकर रह रहे हैं, उन्हें राजस्व रिकॉर्ड में ‘शासकीय भूमि’ (सरकारी जमीन) घोषित कर दिया गया है। पीड़ितों का कहना है कि यह महज तकनीकी गलती नहीं, बल्कि सोची-समझी साजिश है।
पैसे दो, पट्टा लो: पटवारी-चौकीदार पर गंभीर आरोप कलेक्टर को सौंपी गई शिकायत में ग्रामीणों ने पटवारी और ग्राम चौकीदार की मिलीभगत को उजागर किया है। उनका आरोप है कि सर्वे के दौरान जिन लोगों ने कथित तौर पर रिश्वत दी, उनकी खाली पड़ी सरकारी जमीनों को भी निजी बताकर पट्टे जारी कर दिए गए। वहीं, दूसरी तरफ, गरीब तबके के लोग जो वर्षों से अपने मकानों में रह रहे हैं, उन्हें अवैध घोषित कर दिया गया।
भविष्य पर संकट, कानूनी पचड़े का डर प्रभावित परिवारों का कहना है कि राजस्व रिकॉर्ड, नामांतरण और सीमांकन में जानबूझकर की गई त्रुटिपूर्ण प्रविष्टियों (Wrong Entries) के कारण वे भविष्य में कानूनी विवादों में फंस सकते हैं। उन्होंने इसे प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार का चरम बताते हुए अपने संवैधानिक अधिकारों का हनन करार दिया है।
दोबारा सर्वे और कार्रवाई की मांग ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से दो प्रमुख मांगें रखी हैं:
-
उच्च स्तरीय जांच: इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषी पटवारी, चौकीदार व अन्य कर्मचारियों के खिलाफ राजस्व पुस्तक परिपत्र (RBC) के नियमों के तहत कठोर विभागीय और कानूनी कार्रवाई की जाए।
-
रिकॉर्ड में सुधार: सभी 25 परिवारों की जमीनों का दोबारा भौतिक सत्यापन और सर्वे कराकर गलत प्रविष्टियों को तुरंत निरस्त किया जाए और सही रिकॉर्ड दर्ज किया जाए।






















