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नीमच जनसुनवाई में शव: 20 दिन में उजड़ा हंसता-खेलता परिवार, अनाथ बच्चों का दर्द देख रो पड़ा हर कोई

नीमच जनसुनवाई में शव

नीमच । जिला कलेक्ट्रेट में मंगलवार को आयोजित होने वाली जनसुनवाई आमतौर पर फाइलों और कागजी कार्रवाई तक सीमित रहती है, लेकिन आज का नजारा दिल दहला देने वाला था। नीमच जनसुनवाई में शव लेकर पहुंचे परिजनों की चीत्कार ने पूरे प्रशासनिक अमले को झकझोर कर रख दिया। हरवार-फोफलिया मार्ग पर हुए एक भीषण सड़क हादसे ने महज़ 20 दिनों के भीतर एक पूरे परिवार को खत्म कर दिया। पहले पिता का साया उठा और अब माँ की मौत के बाद दो मासूम बच्चे पूरी तरह अनाथ हो गए हैं।

मंगलवार तड़के घायल मां रेखा सेन की मौत के बाद गुस्साए और हताश परिजन, ग्रामीण और सेन समाज के लोग बड़ी संख्या में एकत्रित होकर जिला कलेक्ट्रेट पहुंचे। यहां उन्होंने शव को रखकर प्रदर्शन किया और एसडीएम (SDM) को ज्ञापन सौंपते हुए प्रशासन के सामने तीन प्रमुख मांगें रखीं।

कलेक्ट्रेट में गूंजी अनाथ बच्चों की व्यथा

जिला चिकित्सालय में पोस्टमार्टम के बाद जैसे ही एम्बुलेंस शव लेकर कलेक्ट्रेट पहुंची, वहां मौजूद लोगों की आंखें नम हो गईं। मृतक दंपति के दो बेटे—रोहित और चेतन—अब इस दुनिया में अकेले रह गए हैं। परिजनों ने एसडीएम ममता खेड़े को ज्ञापन सौंपते हुए बताया कि यह केवल एक हादसा नहीं, बल्कि एक परिवार की हत्या है जो एक लापरवाह कार चालक के कारण हुई है।

प्रदर्शन कर रहे परिजनों और समाजजनों ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जब तक पीड़ित परिवार को न्याय नहीं मिलता, उनका संघर्ष जारी रहेगा। ज्ञापन में प्रशासन के समक्ष निम्नलिखित तीन प्रमुख माँगें रखी गई हैं:

  1. कठोर कानूनी कार्रवाई: आरोपी कार चालक बलराम पाटीदार (निवासी पानमोड़ी, राजस्थान) के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए।

  2. सरकारी नौकरी: बड़े पुत्र रोहित को पशु चिकित्सा विभाग या किसी अन्य विभाग में स्थाई नियुक्ति दी जाए ताकि वह अपने छोटे भाई का पालन-पोषण कर सके।

  3. आर्थिक सहायता और शिक्षा: छोटे पुत्र चेतन की शिक्षा और भरण-पोषण के लिए उचित सरकारी मुआवजा और आर्थिक सहायता तत्काल प्रदान की जाए।

क्या था पूरा मामला? 20 दिन पहले लिखा गया था मौत का अध्याय

यह दर्दनाक घटना 11 नवंबर की रात की है। बिसलवास सोनगरा के निवासी कारूलाल सेन अपनी पत्नी रेखा बाई के साथ बाइक पर सवार होकर अपने घर लौट रहे थे। वे अभी हरवार-फोफलिया मार्ग पर पहुंचे ही थे कि सामने से मौत बनकर आ रही तेज रफ़्तार वेन्यू कार (रजिस्ट्रेशन नंबर RJ 35 CA 4477) ने उनकी बाइक को जोरदार टक्कर मार दी।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि बाइक कार के बंपर में फंस गई और दंपति को करीब 30 मीटर तक घसीटती हुई ले गई। कार को राजस्थान के पानमोड़ी निवासी बलराम पिता राजेश पाटीदार चला रहा था। इस विभत्स हादसे में पति कारूलाल सेन की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई थी, जबकि पत्नी रेखा बाई गंभीर रूप से घायल हो गई थीं।

जिंदगी और मौत के बीच 20 दिन का संघर्ष

हादसे के बाद रेखा बाई को पहले नीमच जिला अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उनकी नाजुक हालत को देखते हुए डॉक्टरों ने उन्हें उदयपुर और बाद में अहमदाबाद रेफर कर दिया। लगभग 20 दिनों तक अस्पतालों के चक्कर काटने और लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी उनकी जान नहीं बच सकी।

परिजनों ने बताया कि डॉक्टरों के जवाब देने के बाद वे रेखा बाई को घर ले आए थे। उम्मीद थी कि शायद घर के माहौल में उनकी सेहत सुधरेगी, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। मंगलवार सुबह करीब 5 बजे उनकी तबीयत अचानक बिगड़ी और उन्होंने हमेशा के लिए अपनी आँखें मूंद लीं। इसके साथ ही नीमच जनसुनवाई में शव रखकर प्रदर्शन करने की नौबत आ गई, क्योंकि प्रशासन की ओर से अब तक इस पीड़ित परिवार की कोई सुध नहीं ली गई थी।

आरोपी की लापरवाही ने छीना बच्चों का भविष्य

इस हादसे ने रोहित और चेतन के भविष्य पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है। परिवार की आर्थिक स्थिति पहले से ही कमजोर है और अब कमाने वाले माता-पिता दोनों के चले जाने से बच्चों के सामने रोटी का संकट खड़ा हो गया है। समाजजनों का आरोप है कि पुलिस ने अभी तक आरोपी कार चालक के खिलाफ वह सख्ती नहीं दिखाई जो दिखाई जानी चाहिए थी। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर जल्द विचार नहीं किया गया, तो वे उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।

फिलहाल, एसडीएम ने ज्ञापन लेते हुए उचित कार्यवाही का आश्वासन दिया है और मुख्यमंत्री सहायता कोष व अन्य योजनाओं के तहत परिवार को मदद दिलाने की बात कही है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या सरकारी फाइलों में दबकर इन अनाथ बच्चों का भविष्य सुरक्षित रह पाएगा?


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Aakash Sharma (Editor) The Times of MP

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