नीमच, 23 नवंबर, 2025: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के ऊर्जा लक्ष्यों और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मार्गदर्शन में, मध्य प्रदेश स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। राज्य की कुल स्थापित ऊर्जा क्षमता 31,000 मेगावॉट में हरित ऊर्जा का योगदान अब 30% से अधिक हो गया है, जो देश के हरित ऊर्जा लक्ष्य में एक बड़ा कदम है।
इस हरित क्रांति में, नीमच जिला 500 मेगावॉट सौर ऊर्जा उत्पादन के साथ प्रदेश का अग्रणी ‘सोलर हब’ बनकर उभरा है।
नीमच: 500 मेगावॉट का हरित ऊर्जा केंद्र
नीमच में इस समय तीन प्रमुख इकाइयाँ सौर ऊर्जा का उत्पादन कर रही हैं:
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सिंगोली यूनिट-3 (ग्राम बडी): 170 मेगावॉट
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बडावदा यूनिट-1: 160 मेगावॉट
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कवई यूनिट-2: 170 मेगावॉट
टी.सी. सूर्या कंपनी द्वारा स्थापित ये परियोजनाएँ और आगर जिले की 330 मेगावॉट परियोजना, मिलकर प्रतिवर्ष 68 मिलियन यूनिट हरित बिजली का उत्पादन कर रही हैं, जिसका लाभ भारतीय रेल और राज्य की विद्युत कंपनियों को मिल रहा है।
कार्बन कटौती में भगवानपुरा इकाई का अहम योगदान
जावद जनपद के भगवानपुरा में स्थापित 151 मेगावॉट क्षमता की वेल्सपन सोलर इकाई (उत्पादन शुरू: फरवरी 2014) प्रतिवर्ष 2,16,372 टन कार्बन उत्सर्जन को कम कर रही है। यह इकाई 6.24 लाख घरों को ऊर्जा आपूर्ति करने की क्षमता रखती है और देश की उन चुनिंदा इकाइयों में शामिल है जो 132 केवी हाई वोल्टेज उत्पादन करती हैं।
प्रदेश की दूरदर्शी नीति और भविष्य के लक्ष्य
मध्य प्रदेश ने अपनी निवेशक-हितैषी ऊर्जा नीति और तकनीकी नवाचारों के बल पर पिछले 12 वर्षों में हरित ऊर्जा उत्पादन में 19 गुना की अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की है।
प्रमुख परियोजनाएँ जो मध्य प्रदेश को नई दिशा दे रही हैं:
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रीवा सोलर पार्क: देश के सबसे बड़े पार्कों में से एक, जो दिल्ली मेट्रो को बिजली आपूर्ति करता है।
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ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर प्लांट: देश का सबसे बड़ा 278 मेगावॉट का फ्लोटिंग सोलर प्लांट।
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मुरैना परियोजना: देश की पहली ‘सोलर प्लस बैटरी स्टोरेज’ परियोजना जो ₹2.70 प्रति यूनिट की दर पर 24 घंटे हरित ऊर्जा की आपूर्ति सुनिश्चित करेगी।
राज्य सरकार ने वर्ष 2030 तक 20 गीगावॉट हरित ऊर्जा उत्पादन क्षमता का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है।
‘टेक्नोलॉजी एग्नोस्टिक पॉलिसी’ से निवेशक आकर्षित
मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य है जिसने ‘टेक्नोलॉजी एग्नोस्टिक’ नवीकरणीय ऊर्जा नीति लागू की है। इसके तहत सौर, पवन और मिश्रित ऊर्जा के विकास के लिए निवेशकों को आकर्षक अवसर मिल रहे हैं। कुसुम-सी योजना में किसानों की व्यापक भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है, और 100% फीडर सोलरीकरण का प्रयास जारी है।
इसके अलावा, पंप-हाइड्रो परियोजनाओं (14,850 मेगावॉट आवेदन) और बायोफ्यूल परियोजनाओं पर भी तेजी से काम हो रहा है।
राज्य सरकार ‘सूर्य मित्र योजना’ और स्किल डेवलपमेंट कोर्सेस के माध्यम से हजारों युवाओं को तकनीकी प्रशिक्षण देकर हरित ऊर्जा क्षेत्र में स्थानीय रोजगार के अवसर भी उपलब्ध करा रही है।






















