नई दिल्ली | टेक डेस्क: भारत में डिजिटल संचार और मैसेजिंग ऐप्स की दुनिया में एक क्रांतिकारी और सख्त बदलाव होने जा रहा है। केंद्र सरकार ने साइबर अपराध (Cyber Fraud) और ऑनलाइन ठगी पर नकेल कसने के लिए एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। अब आपका वॉट्सऐप (WhatsApp), टेलीग्राम (Telegram) या स्नैपचैट (Snapchat) तभी काम करेगा, जब आपके स्मार्टफोन में वह सिम कार्ड फिजिकली मौजूद और एक्टिव होगा, जिससे आपने रजिस्टर किया है। दूरसंचार विभाग ने सभी मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स के लिए New SIM Binding Rules (सिम बाइंडिंग नियम) जारी कर दिए हैं।
यह फैसला न केवल मोबाइल यूजर्स के लिए बल्कि लैपटॉप और डेस्कटॉप पर मैसेजिंग ऐप इस्तेमाल करने वालों के लिए भी बड़े बदलाव लेकर आया है। सरकार का मानना है कि इस कदम से उन साइबर अपराधियों की कमर टूट जाएगी जो फर्जी नंबरों या बिना सिम वाले उपकरणों के जरिए देश भर में ठगी का नेटवर्क चला रहे हैं।
क्या है ‘सिम बाइंडिंग’ का नया नियम? (New SIM Binding Rules)
अभी तक की व्यवस्था के अनुसार, आप किसी भी फोन में एक बार सिम डालकर वॉट्सऐप या टेलीग्राम जैसे ऐप इंस्टॉल कर लेते थे और ओटीपी (OTP) वेरिफिकेशन के बाद अगर आप फोन से सिम निकाल भी दें, तो भी वाई-फाई (Wi-Fi) के जरिए ऐप चलता रहता था। लेकिन New SIM Binding Rules के तहत यह सुविधा अब खत्म होने जा रही है।
नए आदेश के मुताबिक, मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स को ऐसी तकनीक अपनानी होगी जो यह सुनिश्चित करे कि ऐप तभी एक्टिव रहे, जब संबंधित मोबाइल नंबर वाली सिम डिवाइस के अंदर मौजूद हो। इसे ‘सिम-टू-डिवाइस बाइंडिंग’ (Sim-to-Device Binding) कहा जा रहा है। जैसे ही यूजर मोबाइल से सिम बाहर निकालेगा, उसका मैसेजिंग ऐप काम करना बंद कर देगा। यह नियम तत्काल प्रभाव से लागू करने का आदेश दिया गया है, और कंपनियों को अपनी तकनीक अपडेट करने के लिए 90 दिनों का समय मिला है।
वेब वर्जन यूजर्स के लिए बड़ी मुसीबत: हर 6 घंटे में लॉगिन जरूरी
इस नए नियम का सबसे गहरा असर उन प्रोफेशनल्स और ऑफिस वर्कर पर पड़ेगा जो दिन भर लैपटॉप या डेस्कटॉप पर वॉट्सऐप वेब (WhatsApp Web) या टेलीग्राम का इस्तेमाल करते हैं। New SIM Binding Rules के अनुसार, अब वेब ब्राउजर या डेस्कटॉप ऐप पर परमानेंट लॉगिन की सुविधा खत्म कर दी गई है।
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6 घंटे की समय सीमा: डेस्कटॉप यूजर्स को अब हर 6 घंटे बाद अपने आप लॉगआउट कर दिया जाएगा।
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दोबारा QR स्कैन: दोबारा इस्तेमाल करने के लिए यूजर को फिर से अपने मोबाइल से QR कोड स्कैन करना होगा।
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सिम की अनिवार्यता: वेब पर भी ऐप तभी चलेगा जब आपके प्राइमरी मोबाइल में सिम एक्टिव हो। अगर फोन से सिम हटी या नेटवर्क बंद हुआ, तो डेस्कटॉप पर भी चैट बंद हो जाएगी।
यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि कई बार स्कैमर्स किसी के वेब वॉट्सऐप का एक्सेस ले लेते थे और यूजर को पता भी नहीं चलता था। अब बार-बार ऑथेंटिकेशन से सुरक्षा की परत मजबूत होगी।
सिर्फ वॉट्सऐप नहीं, इन सभी ऐप्स पर गिरेगी गाज
अक्सर लोग सोचते हैं कि यह नियम केवल वॉट्सऐप के लिए है, लेकिन ऐसा नहीं है। सरकार का यह आदेश सभी ओटीटी (OTT) संचार सेवाओं पर लागू होगा। इसमें शामिल प्रमुख ऐप्स हैं:
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वॉट्सऐप (WhatsApp)
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टेलीग्राम (Telegram)
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सिग्नल (Signal)
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स्नैपचैट (Snapchat)
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शेयरचैट (ShareChat)
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जियोचैट (JioChat)
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अराटाई (Arataii)
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जोश (Josh)
इसके अलावा, ट्रूकॉलर (Truecaller), आईमैसेज (iMessage) और यहां तक कि गूगल/एप्पल आईडी रिकवरी और यूपीआई (UPI) ऐप्स जो मोबाइल नंबर वैरिफिकेशन पर आधारित हैं, वे सब इस New SIM Binding Rules के दायरे में आएंगे।
क्यों पड़ी सरकार को इस सख्त कदम की जरूरत?
दूरसंचार विभाग (DoT) के अधिकारियों के अनुसार, वर्तमान में ऐप्स केवल इंस्टॉलेशन के वक्त ओटीपी के जरिए यूजर को वेरीफाई करते हैं। इसके बाद सालों तक दोबारा वेरिफिकेशन नहीं होता। साइबर अपराधी इसका फायदा उठाते हैं। वे फर्जी दस्तावेजों से सिम लेते हैं, ऐप एक्टिवेट करते हैं और फिर सिम तोड़कर फेंक देते हैं, लेकिन ऐप के जरिए ठगी जारी रखते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय गिरोह भारत के बाहर बैठकर भारतीय नंबरों का इस्तेमाल कर रहे हैं। New SIM Binding Rules लागू होने के बाद, जैसे ही सिम नेटवर्क से बाहर होगी, ऐप का एक्सेस खत्म हो जाएगा। इससे स्पैम कॉल, फेक वीडियो कॉल और फिरौती के मामलों में भारी कमी आने की उम्मीद है।
कंपनियों के पास सिर्फ 90 दिन, उल्लंघन पर होगी कार्रवाई
सरकार ने स्पष्ट किया है कि टेक कंपनियों के पास इस सिस्टम को लागू करने के लिए 90 दिन (3 महीने) का समय है। इसके अलावा, उन्हें 120 दिनों के भीतर सरकार को एक अनुपालन रिपोर्ट (Compliance Report) सौंपनी होगी। यदि कोई कंपनी इन नियमों का पालन करने में विफल रहती है, तो उन पर टेलीकम्युनिकेशन एक्ट 2023 और टेलीकॉम साइबर सिक्योरिटी रूल्स के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
कुल मिलाकर, आम यूजर्स के लिए यह थोड़ी असुविधाजनक हो सकता है, खासकर जिन्हें बार-बार लॉगिन करना पड़ेगा, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा और आपकी अपनी गाढ़ी कमाई को साइबर ठगों से बचाने के लिए यह New SIM Binding Rules एक आवश्यक कड़वी गोली है।






















