नई दिल्ली | बिज़नेस डेस्क: महंगाई के मोर्चे पर आम आदमी के लिए एक और बड़ी राहत की खबर है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आम बजट और नए साल से ठीक पहले कर्जदारों को खुश होने का मौका दिया है। केंद्रीय बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) ने अपनी तीन दिवसीय बैठक के बाद Repo Rate में 0.25% की कटौती का ऐलान किया है। इस कटौती के साथ ही अब रेपो रेट 5.50% से घटकर 5.25% पर आ गया है।
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने 5 दिसंबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस फैसले की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह फैसला सर्वसम्मति से लिया गया है ताकि अर्थव्यवस्था में मांग को बढ़ाया जा सके और रियल एस्टेट जैसे सुस्त पड़े सेक्टरों में जान फूंकी जा सके।
लोन का गणित: आपकी जेब पर कितना असर?
Repo Rate घटने का सीधा मतलब है कि बैंकों को अब RBI से सस्ता पैसा मिलेगा। जब बैंकों की लागत कम होगी, तो वे इसका फायदा ग्राहकों को देंगे। इसका सबसे ज्यादा असर होम लोन (Home Loan) और कार लोन (Car Loan) की ईएमआई पर पड़ेगा।
अगर आप होम लोन लेने की सोच रहे हैं या पहले से लोन चल रहा है, तो इस गणित को समझिए:
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20 लाख का लोन: मान लीजिए आपने 20 साल के लिए 20 लाख रुपये का लोन लिया है। 0.25% की ब्याज दर कटौती के बाद आपकी मासिक ईएमआई (EMI) में करीब 310 रुपये की कमी आएगी। अगर इसे 20 साल की पूरी अवधि (Total Tenure) के हिसाब से जोड़ें, तो आपकी कुल बचत लगभग 74,000 रुपये होगी।
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30 लाख का लोन: यदि लोन की राशि 30 लाख रुपये है, तो मासिक बचत लगभग 465 रुपये होगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि एसबीआई (SBI), एचडीएफसी (HDFC) और आईसीआईसीआई (ICICI) जैसे बड़े बैंक अगले 2-3 दिनों में अपनी ब्याज दरों में कटौती का ऐलान कर सकते हैं।
2025 में RBI की ‘सस्ती ईएमआई’ वाली नीति
वर्ष 2025 कर्जदारों के लिए बेहद शानदार साबित हो रहा है। RBI ने इस साल लगातार ब्याज दरों में कैंची चलाई है। आंकड़ों पर नजर डालें तो तस्वीर बिल्कुल साफ है:
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फरवरी: 5 साल के लंबे अंतराल के बाद पहली बार Repo Rate को 6.5% से घटाकर 6.25% किया गया।
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अप्रैल: दूसरी बार 0.25% की राहत दी गई।
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जून: मानसून से पहले 0.50% की बड़ी कटौती की गई।
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दिसंबर: अब साल के अंत में फिर 0.25% की कटौती हुई है।
कुल मिलाकर, पिछले 10 महीनों में केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरों में 1.25% की भारी कमी की है। यह स्पष्ट संकेत है कि RBI अब ‘महंगाई नियंत्रण’ के मोड से बाहर निकलकर ‘ग्रोथ’ (Growth) पर फोकस कर रहा है।
रियल एस्टेट सेक्टर को मिलेगा ‘बूस्टर डोज’
ब्याज दरें और रियल एस्टेट का चोली-दामन का साथ होता है। जैसे ही Repo Rate कम होता है, होम लोन सस्ता हो जाता है। सस्ता लोन ग्राहकों को घर खरीदने के लिए प्रोत्साहित करता है। रियल एस्टेट डेवलपर्स का मानना है कि इस फैसले से टियर-2 और टियर-3 शहरों में मकानों की बिक्री में तेजी आएगी। साथ ही, कंस्ट्रक्शन सेक्टर से जुड़े रोजगार भी बढ़ेंगे।
क्या होता है रेपो रेट और यह आपको कैसे प्रभावित करता है?
अगर आप बैंकिंग की तकनीकी भाषा से अनजान हैं, तो आसान शब्दों में समझिए। Repo Rate वह ब्याज दर है जिस पर RBI कमर्शियल बैंकों को पैसा उधार देता है।
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सस्ता कर्ज: जब रेपो रेट कम होता है, तो बैंकों को सस्ता फंड मिलता है। बैंक प्रतियोगिता में बने रहने के लिए अपने ग्राहकों को भी कम ब्याज पर लोन देते हैं।
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महंगाई से लड़ाई: जब महंगाई बहुत बढ़ जाती है, तो RBI रेपो रेट बढ़ा देता है ताकि बाजार में पैसे का बहाव (Money Flow) कम हो। लेकिन अभी स्थिति इसके उलट है। महंगाई नियंत्रण में है, इसलिए RBI ने रेट घटाकर बाजार में पैसे का बहाव बढ़ाने का फैसला किया है।
जीडीपी और महंगाई पर RBI का नजरिया
बैठक में RBI ने महंगाई के अनुमान को घटाया है, जो एक सकारात्मक संकेत है। वहीं, जीडीपी (GDP) ग्रोथ के अनुमान को पुराने स्तर पर ही बरकरार रखा गया है। गवर्नर संजय मल्होत्रा ने संकेत दिए कि अगर वैश्विक हालात सामान्य रहे, तो आने वाले वित्त वर्ष में ब्याज दरों में और भी कटौती देखने को मिल सकती है।
अगले वित्त वर्ष 2025-26 के लिए बैठकों का कैलेंडर जारी हो चुका है। अब देखना यह होगा कि बैंक कितनी जल्दी इस Repo Rate कटौती का लाभ आम आदमी की पासबुक तक पहुंचाते हैं।






















