नई दिल्ली (ब्यूरो रिपोर्ट)। भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) ने देश के 12 प्रमुख राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चल रहे ‘स्पेशल इंटेंसिव रिविजन’ (SIR) को लेकर एक बड़ा और महत्वपूर्ण फैसला लिया है। आयोग ने SIR Deadline Extended करते हुए वोटर वेरिफिकेशन की प्रक्रिया को एक सप्ताह के लिए आगे बढ़ा दिया है। यह फैसला उन लाखों मतदाताओं के लिए राहत की खबर है, जो अभी तक अपना वेरिफिकेशन नहीं करा पाए थे, लेकिन साथ ही यह कदम विपक्ष के उन आरोपों के बीच आया है जिसमें इस प्रक्रिया पर सवाल उठाए जा रहे थे।
ताजा आदेश के मुताबिक, अब मतदाता सूची में नाम जोड़ने, हटाने और संशोधन का कार्य यानी ‘एन्यूमरेशन पीरियड’ 11 दिसंबर 2025 तक चलेगा। इससे पहले यह डेडलाइन 4 दिसंबर तय की गई थी।
चुनावी कैलेंडर में बड़ा बदलाव: अब 14 फरवरी को फाइनल लिस्ट
चुनाव आयोग द्वारा SIR Deadline Extended किए जाने के कारण पूरी प्रक्रिया का शेड्यूल बदल गया है। आयोग द्वारा शनिवार को जारी नई समय सारिणी के अनुसार:
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वोटर वेरिफिकेशन (एन्यूमरेशन): अब 11 दिसंबर तक चलेगा।
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ड्राफ्ट वोटर लिस्ट: जो पहले 9 दिसंबर को आनी थी, अब 16 दिसंबर को प्रकाशित की जाएगी।
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फाइनल वोटर लिस्ट: अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन अब वैलेंटाइन डे यानी 14 फरवरी 2026 को किया जाएगा।
गौरतलब है कि बिहार के बाद देश के जिन 12 राज्यों में यह प्रक्रिया 28 अक्टूबर से चल रही है, उनमें मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, गुजरात, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, गोवा, अंडमान निकोबार, लक्षद्वीप और पुडुचेरी शामिल हैं।
क्यों हो रहा है SIR और इसका मकसद क्या है?
यह सामान्य वोटर लिस्ट अपडेशन से अलग और व्यापक प्रक्रिया है। दरअसल, 1951 से 2004 तक नियमित रूप से SIR होता रहा है, लेकिन पिछले 21 सालों से यह प्रक्रिया रुकी हुई थी। इस लंबे अंतराल के कारण मतदाता सूचियों में कई विसंगतियां आ गई हैं। इस महाअभियान का मुख्य उद्देश्य है:
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माइग्रेशन: जो लोग अपना शहर या राज्य बदल चुके हैं, उनके नाम पुराने पते से हटाना।
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मृत मतदाता: जिन मतदाताओं की मृत्यु हो चुकी है, उनके नाम सूची से विलोपित करना।
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डुप्लीकेसी: एक ही व्यक्ति का नाम दो जगहों पर होने की समस्या को खत्म करना।
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पात्रता: 18 वर्ष पूर्ण कर चुके नए युवाओं को जोड़ना और अयोग्य लोगों को हटाना।
सियासी बवाल: कांग्रेस ने कहा- ‘यह BLO का मर्डर है’
जहां एक तरफ चुनाव आयोग ने SIR Deadline Extended करके राहत दी है, वहीं दूसरी तरफ इस पूरी प्रक्रिया पर सियासी पारा सातवें आसमान पर है। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल इस प्रक्रिया की मंशा और टाइमिंग पर सवाल उठा रहे हैं।
SIR Deadline Extended कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने गंभीर आरोप लगाते हुए दावा किया है कि SIR प्रक्रिया के तहत बीएलओ (Booth Level Officers) पर अनुचित दबाव डाला जा रहा है। उन्होंने कहा, “पिछले 20 दिनों में काम के बोझ और दबाव के चलते 26 बीएलओ की मौत हो चुकी है। यह सामान्य मौत नहीं बल्कि दिनदहाड़े ‘मर्डर’ है।”
SIR Deadline Extended सुप्रिया श्रीनेत ने गोंडा के एक बीएलओ विपिन यादव का उदाहरण देते हुए आरोप लगाया कि उन पर वोटर लिस्ट से विशेषकर पिछड़े वर्ग के लोगों के नाम हटाने का दबाव बनाया जा रहा था। कांग्रेस का कहना है कि SIR वोट चोरी करने का एक ‘ताकतवर हथियार’ है, जिसका इस्तेमाल खुलेआम किया जा रहा है। विपक्ष का सवाल है कि आखिर इतनी जल्दबाजी क्यों है? आयोग को थोड़ा और समय लेकर यह प्रक्रिया पूरी करनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट की चौखट पर पहुंचा मामला
SIR Deadline Extended होने के बावजूद कानूनी लड़ाई जारी है। तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और केरल से SIR के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने सख्ती दिखाते हुए केंद्र और राज्य चुनाव आयोग से जवाब तलब किया है।
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केरल सरकार की याचिका पर अगली सुनवाई 2 दिसंबर को होगी।
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तमिलनाडु की याचिका पर 4 दिसंबर को सुनवाई होगी।
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पश्चिम बंगाल के मामले में 9 दिसंबर को सुनवाई तय है।
बेंच ने स्पष्ट किया है कि सिर्फ इसलिए कि SIR पहले कभी नहीं हुआ, इसे रोकने का आधार नहीं बनाया जा सकता। हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर राज्य सरकारें मजबूत आधार पेश करती हैं, तो तारीखों को और बढ़ाने पर विचार किया जा सकता है।
वोटर वेरिफिकेशन के लिए जरूरी दस्तावेज
अगर आप इन 12 राज्यों में रहते हैं, तो SIR Deadline Extended होने का फायदा उठाएं और अपने दस्तावेज तैयार रखें। बीएलओ आपके घर आएंगे या आप खुद केंद्र पर जाकर वेरिफिकेशन करा सकते हैं। इसके लिए मान्य दस्तावेज हैं:
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आधार कार्ड (सिर्फ पहचान के लिए, नागरिकता प्रमाण नहीं)।
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10वीं की मार्कशीट या जन्म प्रमाणपत्र।
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राशन कार्ड या परिवार रजिस्टर की नकल।
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पेंशन पहचान पत्र या सरकारी आईडी।
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जमीन/मकान के कागजात या बिजली-पानी का बिल।
आयोग ने साफ किया है कि आधार कार्ड को पहचान स्थापित करने के लिए एक अतिरिक्त दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया जाएगा, लेकिन यह नागरिकता का प्रमाण नहीं माना जाएगा।






















