चंडीगढ़। राजधानी चंडीगढ़ से एक बेहद हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। सेक्टर 44B के निवासी और पेशे से वकील धर्मेंद्र सिंह रावत ने अपने पड़ोसी की पिटाई करने की लिखित अनुमति मांगी है। यह एप्लीकेशन सिर्फ पुलिस को नहीं, बल्कि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस, गृह सचिव, DGP, SSP और बार काउंसिल चेयरमैन तक को भेजी गई है।
क्या है पूरा मामला?
वकील रावत का आरोप है कि उनके पड़ोसी ने ईर्ष्या के चलते उनकी नई महिंद्रा थार Roxx (नंबर CH 01 CY 2894) पर तेजधार वस्तु से जानबूझकर कई बार खरोंचें मारीं, जिससे उन्हें एक लाख रुपए से अधिक का आर्थिक नुकसान हुआ है।
FIR न होने पर उठाया कानूनी कदम
रावत ने दावा किया कि यह पूरी घटना सीसीटीवी फुटेज में कैद है, जिसे उन्होंने सबूत के तौर पर पुलिस अधिकारियों को सौंपा। हालांकि, उनका आरोप है कि शिकायत देने के बावजूद सेक्टर 34 पुलिस ने अब तक FIR दर्ज नहीं की है।
BNS धारा 35(b) का तर्क
कार्रवाई न होने से नाराज़ वकील ने अब एक अजीबोगरीब कानूनी तर्क दिया है। उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि यदि पुलिस आरोपी के खिलाफ केस दर्ज नहीं करती, तो भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की धारा 35(b) उन्हें अपने शरीर और संपत्ति की रक्षा का अधिकार देती है।
वकील का बयान: “यदि पुलिस ने आरोपी पर केस दर्ज नहीं किया, तो मैं कानून के तहत सार्वजनिक रूप से उस व्यक्ति को थप्पड़ या मारने के लिए बाध्य हूँ।”
रावत ने आगे कहा कि वह ऐसा करने से पहले पुलिस और मीडिया को औपचारिक रूप से सूचित करेंगे, ताकि उनके कानूनी अधिकार का दुरुपयोग न समझा जाए।
पुलिस की प्रतिक्रिया
इस मामले पर सेक्टर 34 पुलिस स्टेशन के SHO इंस्पेक्टर सतिंदर कुमार ने कहा कि यह मामला उनके संज्ञान में नहीं आया है, हो सकता है कि वकील ने शिकायत सीधे सीनियर अफसरों को भेजी हो। वहीं, वकील ने पुलिस पर सुप्रीम कोर्ट के ‘ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार (2013)’ के फैसले की अनदेखी करने का गंभीर आरोप लगाया है, जिसमें गंभीर अपराध होने पर FIR दर्ज करना अनिवार्य है।
यह मामला अब चंडीगढ़ के पुलिस और न्यायिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है।






















