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‘किलर कफ सीरप’ कांड: श्रीसन फार्मा की लापरवाही से हिली स्वास्थ्य व्यवस्था, अब देशभर में सभी कंपनियों का ऑडिट करेगा केंद्र


नीमच| मध्य प्रदेश में जहरीले कफ सीरप से बच्चों की मौत का मामला अब राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा मुद्दा बन गया है। जांच में सामने आया है कि यह त्रासदी श्रीसन फार्मा नामक कंपनी की घोर लापरवाही का नतीजा थी, जो बिना परीक्षण के खांसी की दवा बेच रही थी। अब कंपनी के मालिक को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि केंद्र सरकार ने देशभर की सभी कफ सीरप बनाने वाली कंपनियों की जांच का आदेश दे दिया है।

364 बार नियमों का उल्लंघन, 38 गंभीर खामियां
सूत्रों के अनुसार, तमिलनाडु स्थित श्रीसन फार्मा के संयंत्र में निरीक्षण के दौरान 364 नियमों का उल्लंघन पाया गया, जिनमें से 38 को गंभीर श्रेणी में रखा गया है। यही कंपनी “कोल्ड्रिफ” नामक कफ सीरप बनाती थी, जिससे मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में कम से कम 20 बच्चों की मौत हो गई थी। जांच में पाया गया कि सीरप में जहरीले तत्वों की मात्रा निर्धारित सीमा से कहीं अधिक थी।

मालिक गिरफ्तार, सभी उत्पादों पर प्रतिबंध
कंपनी के मालिक रंगनाथन गोविंदन और उनकी पत्नी त्रासदी के बाद से फरार थे, जिन्हें गुरुवार देर रात चेन्नई से गिरफ्तार किया गया। सरकार ने श्रीसन फार्मा के सभी उत्पादों की बिक्री और वितरण पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। कंपनी को 2011 में लाइसेंस मिला था, जिसे 2016 में तमिलनाडु एफडीए ने नवीनीकृत किया था। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) इस प्रक्रिया से अनभिज्ञ था, यानी केंद्र को इसकी गतिविधियों की जानकारी ही नहीं थी।

अब देशभर में होगा कफ सीरप निर्माताओं का ऑडिट
इस घटना के बाद केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने बड़ा कदम उठाया है। संगठन ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कफ सीरप बनाने वाली कंपनियों की पूरी सूची मांगी है। इसके आधार पर देशभर में राष्ट्रव्यापी ऑडिट और निरीक्षण अभियान चलाया जाएगा।

इस अभियान के तहत कंपनियों के

  • क्वालिटी स्टैंडर्ड,

  • पैकेजिंग अनुपालन,

  • कच्चे माल की सुरक्षा
    और बैच परीक्षण प्रक्रियाओं की सख्त जांच की जाएगी।

एक महीने में आएगी परीक्षण रिपोर्ट
सूत्रों के अनुसार, CDSCO ने अगले एक महीने के भीतर सभी कफ सीरप की परीक्षण रिपोर्ट सार्वजनिक करने का निर्णय लिया है। साथ ही, राज्य औषधि नियंत्रकों को निर्देश दिए गए हैं कि कोई भी निर्माता बिना परीक्षण किसी बैच को बाजार में रिलीज न करे और यह सुनिश्चित किया जाए कि कच्चा माल केवल अनुमोदित और विश्वसनीय विक्रेताओं से ही खरीदा जाए।

स्वास्थ्य सुरक्षा पर बड़ा सबक
मध्य प्रदेश में घटित यह दर्दनाक हादसा देश की दवा निर्माण प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है। श्रीसन फार्मा की लापरवाही ने न केवल मासूम जिंदगियां छीन लीं, बल्कि यह भी उजागर किया कि स्थानीय स्तर पर निगरानी की कितनी बड़ी कमी है। केंद्र सरकार का यह ऑडिट अभियान अब दवा उद्योग की साख बहाल करने और भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोकने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।

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Aakash Sharma (Editor) The Times of MP

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