नई दिल्ली। भारत में 1.73 लाख से अधिक पुल मौजूद हैं, जिनमें कई अपने तकनीकी कौशल और सामरिक महत्व के कारण विशेष पहचान रखते हैं। हावड़ा ब्रिज और मुंबई का अटल सेतु जहां देश की बड़ी इंजीनियरिंग उपलब्धियां हैं, वहीं नदी पर बने देश के सबसे लंबे पुल का खिताब भूपेन हजारिका सेतु के नाम है। यह पुल पूर्वोत्तर भारत की कनेक्टिविटी को नया आयाम देता है।
भूपेन हजारिका सेतु—सबसे लंबा नदी पुल
असम में स्थित यह पुल, जिसे ढोला–सदिया पुल भी कहा जाता है, 9.15 किलोमीटर लंबा है और असम को अरुणाचल प्रदेश से जोड़ता है। यह देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र को सड़क मार्ग से मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाता है।
876 करोड़ रुपये में तैयार हुआ सेतु
इस पुल का निर्माण 876 करोड़ रुपये की लागत से किया गया। यह असम की लोहित नदी पर बना है और रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है।
किसने किया निर्माण ?
भूपेन हजारिका सेतु का निर्माण नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी (Navayuga Engineering Company) ने किया।
भारत सरकार और कंपनी के बीच नवंबर 2011 में पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल पर समझौता हुआ था।
नवयुग समूह का नेतृत्व —
चिंता विश्वेश्वर राव (Executive Chairman)
चिंता श्रीधर (Managing Director) के पास है।
कंपनी के प्रमुख प्रोजेक्ट—
* कालेश्वरम–सुंदिला बैराज
* दिबांग–लोहित नदी पुल
* गंगा नदी पुल
* कृष्णापट्टनम पोर्ट
* पोलावरम बांध परियोजना
क्या है इस पुल का महत्व ?
भूपेन हजारिका सेतु पूर्वोत्तर क्षेत्र की आर्थिक और सामाजिक प्रगति के लिए एक अहम इंफ्रास्ट्रक्चर साबित हुआ है।
✔ पर्यटन में वृद्धि
ढोला और सदिया सहित आसपास के क्षेत्रों में विजिटर्स की संख्या बढ़ी।
✔ स्थानीय अर्थव्यवस्था मजबूत
व्यापार, रोजगार और रियल एस्टेट गतिविधियों में तेजी आई।
सैन्य दृष्टि से क्यों है महत्वपूर्ण ?
यह पुल 60 टन से अधिक वजन वाले युद्धक टैंक और भारी सैन्य वाहनों को आसानी से सहन करने में सक्षम है।
इसी के माध्यम से सेना अरुणाचल प्रदेश और चीन सीमा तक आवश्यक सैन्य उपकरणों की तेजी से तैनाती कर सकती है।
यह पुल भारत की नेशनल सिक्योरिटी के लिए एक बड़ा स्ट्रैटेजिक एसेट है।






















