ज़ीरो टॉलरेंस: प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल
(दिलीप बोराना)
मनासा। मध्य प्रदेश के मनासा क्षेत्र में आवारा कुत्तों का आतंक मंगलवार की देर शाम अपने चरम पर पहुंच गया, जब दो अलग-अलग गांवों में इन खूंखार जानवरों ने घर के बाहर खेल रहे दो मासूम बच्चों पर जानलेवा हमला कर दिया। इस हृदयविदारक घटना ने प्रशासन के ‘डॉग कंट्रोल’ के सभी दावों की पोल खोल कर रख दी है और पूरे इलाके में जबरदस्त दहशत है।
सिर और पैर नोचे: 7 साल की नायरा गंभीर
आतरी माता गांव में 7 वर्षीय बालिका नायरा माता रमिझा पर कुत्तों के झुंड ने ऐसा बर्बर हमला किया कि उसके सिर और पैरों पर गहरे और गंभीर घाव हो गए। घटना के तुरंत बाद परिजन बच्ची को लेकर मनासा शासकीय अस्पताल पहुंचे, लेकिन उसकी नाज़ुक हालत को देखते हुए डॉक्टरों ने फौरन उसे नीमच जिला अस्पताल रेफर कर दिया। नायरा जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है।

डांगड़ी गांव से आई दूसरी खबर में, 8 वर्षीय बालक हरीश पिता मुकेश जाटव भी आवारा कुत्तों का शिकार बना। हरीश के हाथ पर गहरे घाव लगे हैं, जिसका इलाज मनासा अस्पताल में जारी है।

जनता में भारी गुस्सा
यह पहली बार नहीं है जब मनासा-नीमच क्षेत्र में आवारा कुत्तों ने मासूमों को निशाना बनाया हो। स्थानीय लोगों में नगर पालिका प्रशासन के खिलाफ भारी गुस्सा है। उनका सीधा आरोप है कि कुत्तों की नसबंदी और नियंत्रण (Control) के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है, जिसका खामियाजा आज ये मासूम बच्चे भुगत रहे हैं।
सवाल: क्या प्रशासन किसी बड़ी अनहोनी का इंतजार कर रहा है? बच्चों की सुरक्षा को लेकर जिम्मेदार कौन है?






















