बिना फार्मासिस्ट चलाने पर होगी जेल और जुर्माना
नीमच|मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में जहरीले कफ सिरप कांड के बाद स्वास्थ्य विभाग हरकत में आ गया है। अब राज्य में सभी मेडिकल स्टोर्स पर फार्मासिस्ट की मौजूदगी अनिवार्य कर दी गई है। साथ ही, बिना प्रिस्क्रिप्शन के दवाएं देने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया गया है।
नए नियमों के तहत, बिना फार्मासिस्ट मेडिकल स्टोर चलाने पर 3 महीने की सजा और ₹2 लाख का जुर्माना लगाया जाएगा। यह सख्ती हाल ही में सामने आए श्रीसन फार्मा कांड के बाद की गई है, जिसमें जहरीले कफ सिरप से 20 बच्चों की मौत हुई थी।
फार्मेसी काउंसिल ने जारी किए सख्त निर्देश
स्टेट फार्मेसी काउंसिल ने सभी मेडिकल स्टोर्स, अस्पतालों और फार्मेसी से जुड़े संस्थानों को चेतावनी जारी की है कि वे फार्मेसी अधिनियम, 1948 की धारा 42 का पालन करें।
काउंसिल ने स्पष्ट कहा है कि किसी भी तरह के उल्लंघन पर लाइसेंस रद्द किया जा सकता है और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
इन धाराओं के तहत होगी कार्रवाई
अगर कोई मेडिकल स्टोर बिना पंजीकृत फार्मासिस्ट के दवाएं बेचते पाया गया, तो उसके खिलाफ फार्मेसी अधिनियम 1948 की धारा 42 और जन विश्वास (संशोधन) अधिनियम 2023 के तहत कार्रवाई की जाएगी। इसमें तीन महीने की जेल और दो लाख रुपये का जुर्माना दोनों शामिल हैं।
स्वास्थ्य सुरक्षा पर बड़ा कदम
सरकार का यह फैसला दवा वितरण व्यवस्था को अधिक पारदर्शी और जिम्मेदार बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इससे गलत दवाओं के इस्तेमाल, ओवरडोज़ और नकली दवाओं की बिक्री पर रोक लगेगी।
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